Monday, March 16, 2009

एक सपना देखू बार बार
हम साथ साथ हम सन्ग सन्ग् मै रन्गी हू तेरे रन्ग रन्ग

छोटा सा एक घर बन लिया
रन्गो से उसको सज दिया
सामान भी सारा जमा दिया
हमने सन्ग इसको बसा लिया

किन्तु है ये बस स्वप्न स्वप्न् होना है इसको भग्न भग्न
फिर भी मै देखू बार बार्
एक सपना देखू बार बार
हम साथ साथ हम सन्ग सन्ग् मै रन्गी हू तेरे रन्ग रन्ग


तेरे साथ चलू परछाई बन
हर बुराई हर अच्छाई बन्
तू भी मेरा प्रतिबिम्ब बना
सन्ग सूर्य उगा सन्ग चन्द्र ढला

किन्तु हम नदिया के तीर तीर, ये प्रेम बस देगा पीर पीर
फिर भी मै देखू बार बार्
एक सपना देखू बार बार
हम साथ साथ हम सन्ग सन्ग् मै रन्गी हू तेरे रन्ग रन्ग

तेरे दुख मेरे ऑसू
हर सुख तेर मै भी बान्टू
हर बात तेरी हो मुझे पता
मै भी पाऊ सब तुझे बता

किन्तु ना होगा पूर्ण पूर्ण, ये स्वप्न तो होगा चूर्ण चूर्ण
फिर भी मै देखू बार बार्
एक सपना देखू बार बार
हम साथ साथ हम सन्ग सन्ग् मै रन्गी हू तेरे रन्ग रन्ग

5 comments:

  1. Monali...i must say this is awesome...however i m enable to understand some words but really it is mindblowing...

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  2. यह तो समग्र प्रेम की परिभाषा है. कहा भी गया है -प्रेम गली अति सांकरी , जा में दो न समाहिं . अनेक बधाईयाँ.

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  3. yaar monali yeh tune hi likhi hai na...yaar kisi ko padha mat dena varna kahin tere dil ka haal na pata chal jaye is poem se kisi ko...

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  4. अति उतम ,भाव्पुरण रचना है...............आपकी कल्पनाशिलता प्रकट होती है अत्यंत मजबूत एवम गहरी ..............
    शुभकामनायें

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