Tuesday, September 19, 2017

तुमसे छुपा कर...

जानते हो...
मैंने रोप दिया है एक हिस्सा अपना
तुम्हारे मन के एक कोने में
चुपचाप...बिना तुम्हारे जाने...
...फैल रही हूं मैं तुम्हारे भीतर

कभी महसूस करने बैठे तो पाओगे
मुझे अपने रोम रोम में साँस लेते हुए...
...तब भी जब मैं नहीं रहूँगी इर्द गिर्द तुम्हारे

और तब,

तुम सुनना...
वो आवाजें जो मैंने सहेज दी हैं बस तुम्हारे लिए
तेल नमक डाल कर...
...की बरसो बरस तक खराब न होने पाएं।

तुम देखना...
वो तस्वीरें जिनमें मैं मुस्कुराई हूं बस तुम्हारे लिए
और टाँग दिया है उन्हें...
...वक़्त की पहुंच से ऊँची खूंटियों पर।

और फिर,
तुम माँगना...
दुआएं खुद के लिए,
की मेरे लिए पूजा इबादत के मानी बस यही है
... पिछले कई बरसों से।