Sunday, September 19, 2010

यादों को ख़त...


ये उदासी, ये दर्द कहना तो बहुत कुछ चाहता है
मगर मन के किसी कोने में दबी तुम्हारी याद...
गाहे बगाहे अपना असर दिखाती है और...
पानी की एक बूंद मुझे कभी रुसवा... कभी तन्हा कर जाती है

जानते हो???

'जिनको' कल एतराज़ था मेरे और तुम्हारे हमकदम होने पर
वो आज भी मुझे अपनी मर्ज़ी से चलाया करते हैं
मेरी दुखती रग को जान कर छू जाते हैं...
"कितना रोती हो?" कह कर और भी रुलाया करते हैं

मैं 'उनको' और तुमको अक्सर एक तराजू में तौला करती हूं
पलडा हमेशा तुम्हारी तरफ ही झुकता है, मगर...
मैं एहसान का एक बांट 'उनके' पलडे में रख कर
अनचाहे ही हर बार उन्हें जिताया करती हूं

हर बार तुम्हारी हार मेरे दिल में गहरे उतर जाया करती है
तुम्हें भुलाने की एक और कोशिश सिरे से बिखर जाया करती है
जिसे 'त्याग' कह कर पहले खुद को समझा लिया करती थी,
अब वो भी किसी ज़ख्म पर मरहम नहीं रखता...
'जिनकी' खातिर कर दिया तुम्हें पराया,
'उनमें' से भी कोई कभी सिर पर हाथ नहीं धरता...

आज भी जब आंखें और आंसू बेहद थक जाते हैं
तब...
तुम्हारी ही कही कोई बात ना जाने कौन दोहरा देता है?
मैंने तो आईने को बरसों से मुस्कुराते नहीं देखा, मगर...
मेरे अंदर तुम्हारा प्रतिबिम्ब अब भी मुस्कुरा देता है...

14 comments:

  1. again an awesome piece of writing.....
    bahut hi behtareen....
    ----------------------------------
    मेरे ब्लॉग पर इस मौसम में भी पतझड़ ..
    जरूर आएँ..

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  2. यह सच है कि त्याग में कुछ नहीं रखा..जीवन खुद को जीना है तो फैसले भी खुद के होने चाहिए...समाज यह याद रखता है कि आपने समाज के लिए क्या किया..ये नहीं कि किसे त्यागा...?अंतिम पंक्तियां बहुत सुंदर हैं। बधाई...

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  3. कभी कभी सोचता हूँ....ये उम्र ही है ....या कुछ और

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  4. ये भी एक सच है और अक्सर ऐसा हो भी जाता है

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  5. कितनी सादगी से दिल के दर्द को शब्द देकर मासूमियत से सजा दिया है. सुंदर रचना.

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  6. आपकी कविता का डिक्शन बढ़िया है , बस थोड़ा सा और तराशने की ज़रूरत है लेकिन संवेदना के स्तर पर बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है । बधाई ।

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  7. दिल के दर्द की एक बहुत ही मार्मिक और सशक्त अभिव्यक्ति....बहुत सुन्दर...बधाई...

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  8. very touching....how smoothly u have expressed your emotions!!!

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  9. सुन्दर भावपूर्ण कविता , आभार

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  10. आपने तो बहुत अच्छी कविता लिखी ...बधाई.


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    'पाखी की दुनिया' में- डाटर्स- डे पर इक ड्राइंग !

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