Monday, October 4, 2010

कवयित्री नहीं कविता हूं मैं...

दर्द की सच्चाई पर चढाती हूं सच का मुलम्मा
पावन नहीं पतिता हूं मैं...

छू कर पल दो पल को ज़िन्दगी तुम्हारी,
आगे निकल जाऊंगी...
ठहरा पानी नहीं, सरिता हूं मैं...

मेरा आना आज हंसी और मेरी याद कल आंसू देगी
और उस पर भी है ये दावा मेरा...
ग़ैर नहीं, वनिता हूं मैं...

38 comments:

  1. शब्दों की जादुगरी नहीं कोमल मन की निर्मल अभिव्यक्ति। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    योगदान!, सत्येन्द्र झा की लघुकथा, “मनोज” पर, पढिए!

    ReplyDelete
  2. सच का मुल्लमा चढाना ही तो दुष्कर काम है ...अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  3. बहुत ही मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति....आभार..

    ReplyDelete
  4. भावपूर्ण रचना के लिये बधाई !

    ReplyDelete
  5. Monali...........Didi
    Beautiful as always.
    It is pleasure reading your poems.

    ReplyDelete
  6. मोनाली जी बस एक सवाल इतनी दर्द भरी अभिव्‍यक्ति क्‍यों की आपने।
    और खुद को पतिता कहने की बात भी क्‍यों आई।

    आपके प्रोफाइल फोटो में संभवत: आपकी गोद में आपकी बिटिया है। इस फोटो को देखकर मैं कहता हूं

    आप निश्‍िचत ही
    कविता हैं
    एक पावन वनिता हैं
    दो पल के जिसके स्‍पर्श से
    जिन्‍दगी अमृत हो जाए

    वह जीवन सरिता हैं।

    बहुत बहुत शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  7. छोटी रचना है परन्तु बहुत सुन्दर रचना है !!
    आप ऐसे हे लिखती है और हिंदी साहितीय को जीवित रखे !!

    ReplyDelete
  8. भावों को सुन्दर शव्द दिया है आपने..............

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  10. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  11. बहुत ही खुबसूरत रचना...
    aapki kalam mein jadoo hai.. :)
    मेरे ब्लॉग पर मेरी नयी कविता संघर्ष

    ReplyDelete
  12. @Sangita ji, Manoj ji, Udan Tashtari ji,Arvind ji, Yogendra ji, Kailash ji,Upendra ji, Shekhar ji... THNK YOU..

    @Lucky.. Its nice to c ur lovely comment n ur attempt to write it in Hindi..

    @Sanjay.. You always encourage me to do btr.. thnx

    @Rajesh ji... m obliged for ur concern, positive words n love lines u wrote above.. aur ye meri bhatiji hai,,,jahaan tak meri bitiya ki baat h to my papa is stl workin hard to find a suitable match for me.. :)

    ReplyDelete
  13. मोनाली जी,

    दर्द को दर्द की तरह महसूस करना ही सबसे अच्छी कविता हो सकती है। और वो सारा दर्द महसूस होता है शब्दों के माध्यम से अपने अंतर गुजरते हुये।

    यह कविता अपने पाठक से पीड़ा बाँटती हुई आगे बढ़ती है.....

    बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

    ReplyDelete
  14. ma'am
    if ur free so visit my blog and send ur comments
    my blog name is www.onlylove-love.blogspot.com

    ReplyDelete
  15. बहुत ही सुंदर कविता।
    http://sudhirraghav.blogspot.com/

    ReplyDelete
  16. कवियत्री नही ...... कवयित्री

    ReplyDelete
  17. Thnk u Sharad ji... I've edited it... :)

    ReplyDelete
  18. Very Impressive!

    आप सभी को हम सब की ओर से नवरात्र की ढेर सारी शुभ कामनाएं.

    ReplyDelete
  19. beautiful thought ... but not as beautiful as that little angel in ur arms... god bless her..

    ReplyDelete
  20. bahut khubsurat hai rachna..bhavpurn..koi samjhe to bahut badi baat hai....

    ReplyDelete
  21. कविता को पढ़ते हुए लगता है कि प्यार वाकई इतना अधिकार रखता है. वह हर तरफ से घेरता हुआ आपको लाजवाब कर देता है.

    ReplyDelete
  22. बहुत सुन्दर कविता है,मोनाली जी.

    ReplyDelete
  23. छू कर पल दो पल को ज़िन्दगी तुम्हारी,
    आगे निकल जाऊंगी...
    ठहरा पानी नहीं, सरिता हूं मैं...

    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  24. बहुत अच्छी प्रस्तुति सुन्दर कविता

    ReplyDelete
  25. गहरी और सुंदर मुकम्मल प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  26. बहुत ही मार्मिक !

    ReplyDelete
  27. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  28. यहाँ ठहरा हुआ तो कोई भी नहीं,

    बहुत सुन्दर लिखा है :)

    ReplyDelete
  29. सार्थक लेखन के लिये आभार एवं “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।

    जीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव भी जीते हैं, लेकिन इस मसाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये यह मानव जीवन अभिशाप बन जाता है। आज मैं यह सब झेल रहा हूँ। जब तक मुझ जैसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यही बडा कारण है। भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस षडयन्त्र का शिकार हो सकता है!

    अत: यदि आपके पास केवल दो मिनट का समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये।
    http://umraquaidi.blogspot.com/

    आपका शुभचिन्तक
    “उम्र कैदी”

    ReplyDelete
  30. waah monali ji.....aapne to baandh liya :)

    ReplyDelete
  31. दर्द की सच्चाई पर चढाती हूं सच का मुलम्मा...
    और जब
    सरिता हैं ... तो
    हरगिज़ हरगिज़ पतिता नहीं हैं
    पावन लफ्ज़ ,,, पावन काव्य . . .

    ReplyDelete
  32. Sach kahaa Kavitrii nahi KAVITA hoon MAi........

    ReplyDelete