Tuesday, November 22, 2011
"सुकून" के अपहरणकर्ताओं से...चंद बातें
मैं उन लोगों की तलाश में हूं जिन्होंने "सुकून" का अपहरण कर लिया है.. मगर उन लोगों तक पहुंचने का कोई सिरा नहीं मिलता इसलिये सोचा कि वो सब यहां लिख देना चहिये जो मैं उन से कहती... "सुकून" के अपहरणकर्ताओं से...
मैं चाहती हूं कि वो जानें कि उस शाम जब वो "सुकून" को चुरा कर दूर ले गये थे... अम्मा बहुत रोई थीं और बाबा अपने अंदर का जो कुछ आंसुओं में बहा नहीं पाये, वो हर रात उनकी जागती आंखों से झांकता है और सवेरा होने से पहले-पहले फिर से उनके अंदर कहीं दुबक कर बैठ जाता है.
उन लोगों को शायद पता हो कि उस रात के बाद से दुनिया में कोई नहीं सोया... औरों की तो जाने देते हैं.. मैं पूछना चाहती हूं कि क्या वो खुद ही चैन से सो पाते हैं? हम तो खोये हुये "सुकून" को याद कर के तमाम रात तमाम कर देते हैं मगर "सुकून" की पहरेदारी में लगे उन लोगों की पलकें झपक पाती हैं?
वैसे जिन्होंने खोया और जो पा कर रखवाली कर रहे हैं; उनके बीच भी बहुत से लोग हैं जो इस सोच में चैन से सो नहीं पाते कि ऐसा क्या ही था जिसके जाने से दुनिया 'इस कदर' बदल गई?
फिर, जिन्होंने खोया और जो पा कर रखवाली कर रहे हैं; उनके इर्द-गिर्द भी बहुत से लोग हैं जो इसलिये बेचैन हैं कि उन्हें पल-पल निगाह रखने की फिक्र है कि खोने वालों और पाने वालों की दुनिया 'किस कदर' बदल गई?
तो मेरे प्यारे "सुकून" के चोर/चोरों से मैं बस यही कहना चाहती हूं कि उन्हें पूरी कायनात से बद्दुआऐं मिल रही हैं... उनके सिर सारी दुनिया को जगाये रखने का इल्ज़ाम है. हालांकि मैं कोई बद्दुआ नहीं दे रही क्योंकि मैं और मेरे जैसे कुछ ही और लोग हैं जो जानते हैं कि "सुकून" को चुरा ले जाने वाली रात से आज तक वो लोग भी जाग रहे हैं.
तो उन्हीं लोगों की बेहतरी के लिए मैं कहती हूं कि "सुकून" को लौटा दो वरना मेरी दुआओं का कवच अकेला इतनी बद्दुआओं से तुम्हें बचा नहीं पायेगा...
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Wah 'meri duaon ka kavach' kya bhav aur shabd hain..aapka sukun bhale na mile par aapki lekhani nisandeh sabka sukoon har lenge..
ReplyDeleteShubhkamnayen..
Deepak Shukla..
संवेदनशीलता और दृढ़ता से अपनी बात प्रेषित करती पोस्ट!
ReplyDeleteॐ शान्ति: शांति: शान्ति:
ReplyDeleteसुकून छीननेवाले मिल जाने पर भी समझेंगे क्या ? .... उनकी नियत तय है -
ReplyDeleteसधी हुई पोस्ट!
ReplyDeleteसादर
बहुत प्य्रार से खबर ली है।
ReplyDeleteमैं और मेरे जैसे कुछ ही और लोग हैं जो जानते हैं कि "सुकून" को चुरा ले जाने वाली रात से आज तक वो लोग भी जाग रहे हैं|
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत खूब.........
आपकी पोस्ट की खबर हमने ली है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - एक गरम चाय की प्याली हो ... संग ब्लॉग बुलेटिन निराली हो ...
ReplyDeleteachha laga .............aapka lekhan shabdjaal nahin, apitu sarthak samvaad hai..badhai !
ReplyDeleteaapki profile dekhi..........about me ko baanch kar achha laga
अम्मा बहुत रोई थीं और बाबा अपने अंदर का जो कुछ आंसुओं में बहा नहीं पाये, वो हर रात उनकी जागती आंखों से झांकता है और सवेरा होने से पहले-पहले फिर से उनके अंदर कहीं दुबक कर बैठ जाता है.......
ReplyDeleteVaha sandar prastutikaran
मर्म की बात को सहज तरीके से कहने का निराला अंदाज.
ReplyDeleteaaameen:)
ReplyDeletesukun jarur lautega:D
सुकूं चोरी कर क्या वो भी सुकूं पायेंगे ? अच्छी पोस्ट
ReplyDeleteकिसी का सुकून चुरा कर भला कोई कैसे सुकून पा सकेगा...वापस लौटाना ही होगा...मंगलकामनाएँ..
ReplyDeleteदुआ करता हूँ :) :)
ReplyDeletebahut sundar rachna ......
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