अजनबी... नितान्त अजनबी. शहर, घर, लोग, यहां तक कि लोगों के नाम भी अजनबी.
वो एक अलग दुनिया की लडकी थी.. और एक रोज़ उसकी दुनिया में एक मुसाफिर आया. उन दोनों की दुनिया अलग होने के बावज़ूद लडकी के मन की डोर का एक सिरा उस मुसाफिर के उलझे मन के धागों में अटक गया. इन कच्चे धागों को तोडने के कई पक्के यत्न किये गये. लडकी ने खुद अपनी मुट्ठियों में जकड कर इस डोर को ज़ोरों से झटका, इतनी ज़ोर से कि रगों की गिरहों से लहू रिसने लगा लेकिन कच्ची डोर जस की तस. लडके ने भी अपने दांतों से डोर को काटने की कोशिश की मगर सब बेकार. दोनों तरफ की दुनिया के कई हज़ार लोगों ने मिल कर धागों को अपनी-अपनी ओर खींचा और हार कर खुद के पैरों तले ही खुद की खींची हुई हदों को बेरहमी से कुचल दिया.
लडकी को लडके की अनदेखी, अनजानी दुनिया में भेजने का फैसला किया गया. उस रात लडकी के शहर में लोगों ने छक कर खाना खाया, जम कर दारू पी ... और लडकी की मौत पर किराये पर बुलाये गये लोग ज़ार-ज़ार रोए.
उधर, लडके की दुनिया में लडकी अपना अतीत, अपनी दुनिया, अपना आप भूल कर रमने की कोशिश करने लगी. बदले में लडके की आंखों की चमक मज़दूरी के तौर पर देना तय हुआ. इस सब के बाद भी लडके की दुनिया के लोग उसे 'ग़ैर' समझते और लडकी की खुद कि दुनिया के लोग्.. "मुर्दा". लडकी खुद को ज़िन्दा साबित करने के लिये गहरी सांसें लेती , तेज़ आवाज़ें करती ...
बस लडका देख पा रहा है कि लडकी के भरे बदन के अन्दर दबा मन घुल रहा है... और जितनी तेज़ी से ये मन घुल रहा है, उतनी ही तेज़ी से वो डोर भी जो ज़माने भर कि कोशिसों से बेअसर रही थी.
सुना है कि इस डोर के टूटते ही लडकी की सांसें भी टूट जायेंगी और फिर दोनों दुनिया के लोग मिल कर फिर से उस हद की लकीर को खींचेंगे जिसे उन्होंने मिटा दिया थ. तेरह दिन लम्बा जश्न चलेगा जिसमें दोनों तरफ के लोग एक-दूसरे को बधाई देंगे... फिर से छक कर खाना खाया जयेगा, जम कर दारू पी जायेगी और किराये के लोग फिर से रोयेंगे.
दाद देनी होगी, ऐसी ग़ज़ब रणनीति से काम किया गया है कि किसी के सिर दकियानूसी, सिरफिरा हत्यारा होने का इल्ज़ाम नहीं आयेगा और लडकी की रगों में बूंद-बूंद घुलता ज़हर अपना असर दिखाता रहेगा...
वो एक अलग दुनिया की लडकी थी.. और एक रोज़ उसकी दुनिया में एक मुसाफिर आया. उन दोनों की दुनिया अलग होने के बावज़ूद लडकी के मन की डोर का एक सिरा उस मुसाफिर के उलझे मन के धागों में अटक गया. इन कच्चे धागों को तोडने के कई पक्के यत्न किये गये. लडकी ने खुद अपनी मुट्ठियों में जकड कर इस डोर को ज़ोरों से झटका, इतनी ज़ोर से कि रगों की गिरहों से लहू रिसने लगा लेकिन कच्ची डोर जस की तस. लडके ने भी अपने दांतों से डोर को काटने की कोशिश की मगर सब बेकार. दोनों तरफ की दुनिया के कई हज़ार लोगों ने मिल कर धागों को अपनी-अपनी ओर खींचा और हार कर खुद के पैरों तले ही खुद की खींची हुई हदों को बेरहमी से कुचल दिया.
लडकी को लडके की अनदेखी, अनजानी दुनिया में भेजने का फैसला किया गया. उस रात लडकी के शहर में लोगों ने छक कर खाना खाया, जम कर दारू पी ... और लडकी की मौत पर किराये पर बुलाये गये लोग ज़ार-ज़ार रोए.
उधर, लडके की दुनिया में लडकी अपना अतीत, अपनी दुनिया, अपना आप भूल कर रमने की कोशिश करने लगी. बदले में लडके की आंखों की चमक मज़दूरी के तौर पर देना तय हुआ. इस सब के बाद भी लडके की दुनिया के लोग उसे 'ग़ैर' समझते और लडकी की खुद कि दुनिया के लोग्.. "मुर्दा". लडकी खुद को ज़िन्दा साबित करने के लिये गहरी सांसें लेती , तेज़ आवाज़ें करती ...
बस लडका देख पा रहा है कि लडकी के भरे बदन के अन्दर दबा मन घुल रहा है... और जितनी तेज़ी से ये मन घुल रहा है, उतनी ही तेज़ी से वो डोर भी जो ज़माने भर कि कोशिसों से बेअसर रही थी.
सुना है कि इस डोर के टूटते ही लडकी की सांसें भी टूट जायेंगी और फिर दोनों दुनिया के लोग मिल कर फिर से उस हद की लकीर को खींचेंगे जिसे उन्होंने मिटा दिया थ. तेरह दिन लम्बा जश्न चलेगा जिसमें दोनों तरफ के लोग एक-दूसरे को बधाई देंगे... फिर से छक कर खाना खाया जयेगा, जम कर दारू पी जायेगी और किराये के लोग फिर से रोयेंगे.
दाद देनी होगी, ऐसी ग़ज़ब रणनीति से काम किया गया है कि किसी के सिर दकियानूसी, सिरफिरा हत्यारा होने का इल्ज़ाम नहीं आयेगा और लडकी की रगों में बूंद-बूंद घुलता ज़हर अपना असर दिखाता रहेगा...
अलग दुनिया की लडकी की दास्तान और हश्र भी इस दुनिया की लडकी सरीखा ही लगा । शैली ने बहुत प्रभावित किया , मुझे इस दुनिया की और अलग दुनिया की लडकी का भी यूं बूंद बूंद ज़हर हो जाना हमेशा से अखर जाता है । शिल्प सुंदर बन पडा है ..लिखती रहें ।
ReplyDeleteऔर अब लगा कि तुम वाकई वापस आ गयी हो मोनाली !!!
ReplyDeleteबाकी पोस्ट के बारे में मैं वाकई कुछ नहीं कह सकता, Speechless!!!
सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहद संवेदनशील ………
ReplyDeleteगहन पीड़ा ...मन पर छाते हुए शब्द ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर लेखन ....
शुभकामनाए ...
पढ़ कर कुछ कहना कोई तयशुदा रस्म है क्या.....
ReplyDeleteअनु
लड़की ने मिटा दी कहानी कहते कहते...
ReplyDeleteऔर इसे पढ़ते हुये उसकी चुप्पी और सघन सुनाई देती है।
क्या कहा जाये??
ReplyDelete:)
ReplyDeletelagta hai kisi writer ke blog par aa gaye,.... :-|
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 04-10 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....बड़ापन कोठियों में , बड़प्पन सड़कों पर । .
उम्दा पोस्ट |
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति .....
ReplyDeletehttp://pankajkrsah.blogspot.com पे पधारें स्वागत है
सुंदर,संवेदनशील अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteVery interesting thread; From it's all about humanity
ReplyDeleteबहुत कुच सोचने को विवश करती है आपकी रचना..........
ReplyDeleteवाकई 'किस्सा एकदम सच्चा है' |
ReplyDeleteआकाश
गज़ब
ReplyDeleteimpressive...
ReplyDeleteबहुत खूब....
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