By God की कसम हद हो गई. किसी इज़्ज़तदार शख़्स की बेज्जती की जाये तो समझ भी आता है मगर.. हमारी बेज्जती... हमारी???
और अकेले बेज्जती हो तो जाने भी दिआ जाये कि हम कौन सा इज्जत हथेली पे लिये फिरते हैं.. लेकिन साथ में आरोप भी!!! और आरोप भी कोई ऐसा वैसा नहीं, 'खुद खुश हो के भी depression फैलाने का'
ये तो मतलब किसी नेता से compare किये जाने की हद तक घिनौना आक्षेप था, ऐसा नेता जो करोडों कमाये और हजारों दिखाये. (क्या आप जानते हैं कि गुजरात का मुख्यमंत्री एक चपरासी से भी कम सालाना तन्ख्वाह पाये)
ख़ैर मुद्दे पे आया जाये...
देवांशु निगम नामक एक तथाकथित BLOGGER ने हम पर ये इल्ज़ाम लगाया है कि सब कुछ मनचाहा मिल जाने के बाद भी हमारी पोस्ट्स सुसऐड नोट सरीखी होती हैं और उन्हें हर पोस्ट के बाद कॉल कर के पूछना पडता है कि हम निकल तो नहीं लिये भगवान जी को depress करने!!!
एक बार कहे, २ बार कहे.. चलो हम बेशर्म हैं तो ३ बार कह ले.. मगर बार-बार.. हर बार. बस हमने भी प्रतिज्ञा ली अगली पोस्ट होगी तो बिना depression वाली वरना नहीं होगी.
तो बस आज हम हाज़िर हैं, बांचने को "कसम पुराण"... :-D
कसम कब आई, कहां से आई ये सब तो पता नहीं मगर जब से सुनने-समझने की अकल आई , हमने कसम सदा आस-पास ही पाई.
"बहन तुझे मेरी कसम पापा को मत बताना कि तेरा चश्मा मेरे थप्प्ड से शहीद हुआ है"
"मोनी तुझे कसम है जो किसी से कही ये वाली बात" इत्यादि.. इत्यादि... :P
यहां तक तो चलिये ठीक था कि ऐसी कसमें आपको blackmailing के भरपूर अवसर प्रदान करती थीं.
मगर जनाब हद तो तब हो गई जब हमारे मां-बाप ऐसी हरकतों पर उतर आये; :O
"तुम्हें कसम है दाल पी जाओ"
"मोनी, कसम है ये सेब खाओ"
"सोनी, कसम है ये बालूशाही गटक जाओ"
"मुन्ना, बहुत झगडा हो रहा है ना... कसम है जो दो दिन आपस में बात की तो.. "
बस हमारा कसम पर से विश्वास उठ गया. 'भरे बचपन' में कसम खाई कि अब से कसम बस तभी खायेंगे जब झूठ बोलना होगा.
हमारी माताजी हमारी "कसमभीरू" बहन से सच उगलवाने के लिये कसम नामक युक्ति का गाहे-बगाहे प्रयोग करतीं, हम पर भी ये पैंतरा चलाने की कोशिश की गई;
"तुम्हें कसम है हमारी, सच सच बताओ कि फलाना 'लडाई काण्ड' में किसने किसे कूटा है?"
हमने कहा, "बोल हम सच ही रहे हैं मगर कसम नहीं खायेंगे, वो हम तभी खाते हैं जब झूठ पे सच्चाई की seal लगानी हो."
अब माताजी ने अपना ब्रह्मास्त्र निकाला,
"देखो झूठी कसम खाओगी तो हम मर जायेंगे"
होना ये चाहिये था कि बॉलीवुड फिल्मों से प्रेरित इस super senti dialogue को सुन कर हम पिघल जाते.. सच बताते.. खुद कुटते, बहन को कुटवाते.. इस कूटा-कूटी में २-४ झापड बिना गलती वाले बच्चे को भी रसीद किये जाते. मगर हुआ यूं कि हमने लोटपोट हो कर खिलखिलान शुरु कर दिआ कि,
"मम्मी अगर ऐसा होता तो मज़ा आ जाता. कोई हथियार्, बम, गोला, बारूद पर पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं.. यूं ही सारे दुश्मन तबाह हो जाते" :D
खैर.. कूटे तो हम तब भी गये होंगे मगर आप मानें या ना मानें idea गज़ब का था...
अखबार में खबरें आतीं, 'नलकूप पर सोते बुज़ुर्ग की कसम खा कर हत्या'
हमारे नेता एक-दूसरे को कसम देते कि, 'देखिये आपको पाकिस्तान की कसम जो आपने कोई घोटाला किया.' लीजिये साहब, अगले दिन पाकिस्तान तबाह... credit goes to 'घोटाले वाले नेताजी' जिन्होंने देश की खातिर सीने पे गोली नहीं, दामन पे दाग़ लिया.
ओबामा लादेन को मारने की साजिश के तहत कहते, "कसम लादेन की.. मैं भारत को नौकरियां outsource करने के खिलाफ नहीं हूं." बस... लादेन मियां टें!!!
फिल्मों में हीरो धमकी देता, "कुत्ते-कमीने मेरी हीरोइन को वापस कर दे वरना मैं तेरी कसम खा जाऊंगा"
और बाज़ी कुछ यूं पलटती कि मोना डार्लिंग हीरो की "बेचारी अंधी मां" को ले कर अवतरित होती कि, "खबरदार जो किसी ने किसी की कसम खऐ.. मेरा हाथ इस बुढिया के सिर पर है... अगर किसी ने होशियारी दिखाई तो मैं इसकी कसम खाने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगाऊंगी"
वैसे मार्केट में कसमों के प्रकार भी उपलब्ध हैं.. 'विद्यारानी की कसम' जैसी मासूम कसमें हैं तो कुछ international level की कसमें भी हैं जिन्हें खान, चबाना, निगलना और हज़म करना सबके बस की बात नहीं, ये कसमें ज़्यादातर सच्चे आशिक अपनी 'आशिकाइन' की सच्चाई जानने के लिये खाते हैं. जैसे कि- 'मरे मुंह की कसम'. मतलब कि मुई कसम ने जीते-जी तो चैन लेने ना दिया, अब मरी मरे मुंह पे भी आ के चिपक गई.
ख़ैर... आपको इस सब से परेशान होने की ज़रूरत नहीं. कसम के असर से निजात पाने के लिये कई टोटके भी उपलब्ध हैं :)
मेरी बहन का फेवरिट था, "कसम कसम चूल्हे में भसम"
अब इसे modify कर के जमाने के अनुरूप, "कसम कसम ओवन में भसम" कह सकते हैं... यू नो चूल्हा इज़ सो आउट ऑफ फैशन नॉव अ डेज़... ;)
वैसे इस देहाती तरीके से ऊपर का तरीका है, "हरी सुपारी वन में डाली सीता जी ने कसम उतारी". मगर एक तो आज कल वन रहे नहीं (जाने किस कमबख्त ने कसम खा मारी सारे जंगलों की), दूसरे अगर आप नास्तिक हैं तो आप सीता जी वाली कसम पे भरोसा नहीं करेंगे. :B
लेकिन फिक्र की कोई बात नहीं, "आप लोहा छू के हरी पत्ती देख लो, कसम फौरन उतर जयेगी" ये टोटका अक्सर तब काम में आता था जब कक्षा में मास्साब मौजूद होते थे और बोलते ही सज़ा देने का प्राव्धान था.
ओह!!! आप तो BLOGGER हैं आपकी रचनात्मक संतुष्टि के लिए इसे थोडा creative होना चाहिये. तो फिकर नॉट साहब.. तुकबन्दी भी मौजूद है...
पूछा जायेगा, "तेरे पीछे क्या?"
आप कहेंगे, "चक्की"
"कसम उतरी पक्की".. खतरा टल जायेगा...
ये तो रहा उतना कि ज्ञात है हमें जितना.. अब अगर कसम का कोई आकार.. कोई प्रकार... कोई तथ्य-कथ्य, उपचार रह गया हो तो आपको आपकी खुद की कसम बताइयेगा ज़रूर.. :) :) :)
और अकेले बेज्जती हो तो जाने भी दिआ जाये कि हम कौन सा इज्जत हथेली पे लिये फिरते हैं.. लेकिन साथ में आरोप भी!!! और आरोप भी कोई ऐसा वैसा नहीं, 'खुद खुश हो के भी depression फैलाने का'
ये तो मतलब किसी नेता से compare किये जाने की हद तक घिनौना आक्षेप था, ऐसा नेता जो करोडों कमाये और हजारों दिखाये. (क्या आप जानते हैं कि गुजरात का मुख्यमंत्री एक चपरासी से भी कम सालाना तन्ख्वाह पाये)
ख़ैर मुद्दे पे आया जाये...
देवांशु निगम नामक एक तथाकथित BLOGGER ने हम पर ये इल्ज़ाम लगाया है कि सब कुछ मनचाहा मिल जाने के बाद भी हमारी पोस्ट्स सुसऐड नोट सरीखी होती हैं और उन्हें हर पोस्ट के बाद कॉल कर के पूछना पडता है कि हम निकल तो नहीं लिये भगवान जी को depress करने!!!
एक बार कहे, २ बार कहे.. चलो हम बेशर्म हैं तो ३ बार कह ले.. मगर बार-बार.. हर बार. बस हमने भी प्रतिज्ञा ली अगली पोस्ट होगी तो बिना depression वाली वरना नहीं होगी.
तो बस आज हम हाज़िर हैं, बांचने को "कसम पुराण"... :-D
कसम कब आई, कहां से आई ये सब तो पता नहीं मगर जब से सुनने-समझने की अकल आई , हमने कसम सदा आस-पास ही पाई.
"बहन तुझे मेरी कसम पापा को मत बताना कि तेरा चश्मा मेरे थप्प्ड से शहीद हुआ है"
"मोनी तुझे कसम है जो किसी से कही ये वाली बात" इत्यादि.. इत्यादि... :P
यहां तक तो चलिये ठीक था कि ऐसी कसमें आपको blackmailing के भरपूर अवसर प्रदान करती थीं.
मगर जनाब हद तो तब हो गई जब हमारे मां-बाप ऐसी हरकतों पर उतर आये; :O
"तुम्हें कसम है दाल पी जाओ"
"मोनी, कसम है ये सेब खाओ"
"सोनी, कसम है ये बालूशाही गटक जाओ"
"मुन्ना, बहुत झगडा हो रहा है ना... कसम है जो दो दिन आपस में बात की तो.. "
बस हमारा कसम पर से विश्वास उठ गया. 'भरे बचपन' में कसम खाई कि अब से कसम बस तभी खायेंगे जब झूठ बोलना होगा.
हमारी माताजी हमारी "कसमभीरू" बहन से सच उगलवाने के लिये कसम नामक युक्ति का गाहे-बगाहे प्रयोग करतीं, हम पर भी ये पैंतरा चलाने की कोशिश की गई;
"तुम्हें कसम है हमारी, सच सच बताओ कि फलाना 'लडाई काण्ड' में किसने किसे कूटा है?"
हमने कहा, "बोल हम सच ही रहे हैं मगर कसम नहीं खायेंगे, वो हम तभी खाते हैं जब झूठ पे सच्चाई की seal लगानी हो."
अब माताजी ने अपना ब्रह्मास्त्र निकाला,
"देखो झूठी कसम खाओगी तो हम मर जायेंगे"
होना ये चाहिये था कि बॉलीवुड फिल्मों से प्रेरित इस super senti dialogue को सुन कर हम पिघल जाते.. सच बताते.. खुद कुटते, बहन को कुटवाते.. इस कूटा-कूटी में २-४ झापड बिना गलती वाले बच्चे को भी रसीद किये जाते. मगर हुआ यूं कि हमने लोटपोट हो कर खिलखिलान शुरु कर दिआ कि,
"मम्मी अगर ऐसा होता तो मज़ा आ जाता. कोई हथियार्, बम, गोला, बारूद पर पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं.. यूं ही सारे दुश्मन तबाह हो जाते" :D
खैर.. कूटे तो हम तब भी गये होंगे मगर आप मानें या ना मानें idea गज़ब का था...
अखबार में खबरें आतीं, 'नलकूप पर सोते बुज़ुर्ग की कसम खा कर हत्या'
हमारे नेता एक-दूसरे को कसम देते कि, 'देखिये आपको पाकिस्तान की कसम जो आपने कोई घोटाला किया.' लीजिये साहब, अगले दिन पाकिस्तान तबाह... credit goes to 'घोटाले वाले नेताजी' जिन्होंने देश की खातिर सीने पे गोली नहीं, दामन पे दाग़ लिया.
ओबामा लादेन को मारने की साजिश के तहत कहते, "कसम लादेन की.. मैं भारत को नौकरियां outsource करने के खिलाफ नहीं हूं." बस... लादेन मियां टें!!!
फिल्मों में हीरो धमकी देता, "कुत्ते-कमीने मेरी हीरोइन को वापस कर दे वरना मैं तेरी कसम खा जाऊंगा"
और बाज़ी कुछ यूं पलटती कि मोना डार्लिंग हीरो की "बेचारी अंधी मां" को ले कर अवतरित होती कि, "खबरदार जो किसी ने किसी की कसम खऐ.. मेरा हाथ इस बुढिया के सिर पर है... अगर किसी ने होशियारी दिखाई तो मैं इसकी कसम खाने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगाऊंगी"
वैसे मार्केट में कसमों के प्रकार भी उपलब्ध हैं.. 'विद्यारानी की कसम' जैसी मासूम कसमें हैं तो कुछ international level की कसमें भी हैं जिन्हें खान, चबाना, निगलना और हज़म करना सबके बस की बात नहीं, ये कसमें ज़्यादातर सच्चे आशिक अपनी 'आशिकाइन' की सच्चाई जानने के लिये खाते हैं. जैसे कि- 'मरे मुंह की कसम'. मतलब कि मुई कसम ने जीते-जी तो चैन लेने ना दिया, अब मरी मरे मुंह पे भी आ के चिपक गई.
ख़ैर... आपको इस सब से परेशान होने की ज़रूरत नहीं. कसम के असर से निजात पाने के लिये कई टोटके भी उपलब्ध हैं :)
मेरी बहन का फेवरिट था, "कसम कसम चूल्हे में भसम"
अब इसे modify कर के जमाने के अनुरूप, "कसम कसम ओवन में भसम" कह सकते हैं... यू नो चूल्हा इज़ सो आउट ऑफ फैशन नॉव अ डेज़... ;)
वैसे इस देहाती तरीके से ऊपर का तरीका है, "हरी सुपारी वन में डाली सीता जी ने कसम उतारी". मगर एक तो आज कल वन रहे नहीं (जाने किस कमबख्त ने कसम खा मारी सारे जंगलों की), दूसरे अगर आप नास्तिक हैं तो आप सीता जी वाली कसम पे भरोसा नहीं करेंगे. :B
लेकिन फिक्र की कोई बात नहीं, "आप लोहा छू के हरी पत्ती देख लो, कसम फौरन उतर जयेगी" ये टोटका अक्सर तब काम में आता था जब कक्षा में मास्साब मौजूद होते थे और बोलते ही सज़ा देने का प्राव्धान था.
ओह!!! आप तो BLOGGER हैं आपकी रचनात्मक संतुष्टि के लिए इसे थोडा creative होना चाहिये. तो फिकर नॉट साहब.. तुकबन्दी भी मौजूद है...
पूछा जायेगा, "तेरे पीछे क्या?"
आप कहेंगे, "चक्की"
"कसम उतरी पक्की".. खतरा टल जायेगा...
ये तो रहा उतना कि ज्ञात है हमें जितना.. अब अगर कसम का कोई आकार.. कोई प्रकार... कोई तथ्य-कथ्य, उपचार रह गया हो तो आपको आपकी खुद की कसम बताइयेगा ज़रूर.. :) :) :)
भगवान कसम ये पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी :)
ReplyDeleteमाँ कसम ....मज़ा आ गया....
ReplyDeleteउकसाने पर काफी अच्छा लिख डाला कसम से...
:-)
वैसे कसम खाते वक्त फिन्गर क्रोस कर लो तो कसम नहीं चढ़ती...सच्ची ..तेरी कसम!!!
अनु
hahaaha :D
Deletehaan use hum log ANTI MARNA kehte the bachpan me :)
कसम से क्या कसम है. चारों तरफ कसमों का पूरा कुनबा है. लेकिन कसम से मज़ा बहुत आया.
ReplyDeleteये जो आप मुद्दा लेकर आयी हैं, कसम, से बेहद ही ज्वलंत मुद्दा है| अब चूँकि आपने इसका नाम पुराण दे दिया है तो हमारा कुछ भी कहना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है , इसलिए हम कुछ नहीं कहेंगे :) :)
ReplyDeleteपर आदत से मजबूर हैं तो कहे बिना मानेंगे भी नहीं :) :) :) ( आप के ही अनुसार ब्लॉगर जो ठहरे :) :) :) )
ये कसम-वसम हमें समझ नहीं आती | और कसम का असर होता है इसपे भी डाउट है | कुछ "इग्जाम्पुल" हैं :
१. रावन ने कुछ अपने दूत विभीषण के पीछे पंहुचा दिए , राम जी तक | जब वानरों को पता चला तो उन्होंने दूतों को रगदा-रगदा के मारना शुरू किया तो दूतों ने राम जी की कसम दे दी : "जे हमार कछु नासा काना, तेंहि कोसलाधीश के आना " | अब बताओ कसम देने और कुटाई रुकने में कुछ देर तो लगी होगी | उतनी देर का कसम का असर रामजी पर हुआ क्या ? इसपे रिसर्च होनी चाहिए |
२. कसम को शपथ भी कहा जा सकता है , हमारे नेता-फेता तो हर दूसरे-तीसरे संविधान की कसम खाते रहते हैं | संविधान भी फिलहाल ठीक है |
३. रेगुलर कसम तो हम रोज़ खाते रहते थे स्कूल में | "तुम्हे अम्मा कसम कि आचार्य जी को बताया कि मैंने गृहकार्य नहीं किया है " ( शिशु मंदिर में ऐसे ही बोलते हैं ) | फिर भी दोस्त बताता था , हम कूटे जाते थे , आंटी आज भी सही सलामत हैं और मस्त चाय और कचोरी खिलाती हैं | भगवान उनको बहुत ही लंबी उम्र दे |
मुद्दे और भी हैं , याद नहीं आ रहे , फिर कभी |
धरम पाजी भी धड़ाधड़ "माँ कसम" बोलते रहते हैं |
बस जो मुझे समझ नहीं आता वो ये हैं कि ऐसा क्यूँ कहते हैं "कसम पैदा करने वाले की " | जबकी पैदा करने वाली तो माँ होती है | Gender Mistake :) :) :)
धुआंधार पोस्ट है मोनाली | keep this mood up !!! Cheers !!!
कसम-पुराणे , ताप्ती-तीरे , प्रथमो अध्याय समाप्त |
बोलो मोनाली देवी की जय !!!!!
Hehehe... Aur wo Geeta pe hath rakh k bhi to kasam khate the.. Samvidhan ki tereh Geeta bhi superhit h aaj tak :)
DeleteAur tum comment ka kiye ho poori post hi likh daale ho.. Lagta h ACKNOWLEDGEMENT paa k bade hi khush ho gaye ho :P
ReplyDeleteकल 10/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत खूब ! क्या मजे हैं कसम के।
ReplyDeletekasam khuda ki bada mazaa aa riyaa tha ye lekh padhne mein....
ReplyDeleteअबे हमको एगो बात बताओ, ई जो तुम रायता फैलाई हो कसम के नाम पर और जिसपर ये देव?(अंशु ) मारे ख़ुशी के कमेन्ट के नाम पर पोथी लिख के चले गए हैं... उसका बेसिक आईडिया माने कांसेप्ट तुमको कहाँ से आया....
ReplyDeleteIdea videa kuchh nahi.. humari aap beeti h ye.. humare maa-baap sach me kasamein de de k doodh daal mithayi hum logo k munh me dalte the...
DeleteAur Devanshu ne hum pe sentiyapa failane ka ilzaam lagaya ye to tumhe pata hi h.. tum co-victim jo the :P
Aur aise uchcha koti ksuvichar humare bheje me Ramji hi bheje honge.. ;)
:) :)
Delete"हरी सुपारी वन में डाली सीता जी ने कसम उतारी". hay bhagwaan ... kyaa kyaa yaad dila diya
ReplyDeleteबालूशाही हमारे सामने रख दो तो माँ कसम तुम्हें कसम खाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
ReplyDeletebye god ki kasam:))))
ReplyDeletemaja aa gaya chhuttki.....heheheheh
हम आपके ब्लॉग पर पहली बार अवतरित हुआ हूँ :)....बस मज़ा आ गया,चाहें तो हम किसी का भी कसम खा के कहने को तैयार हूँ...सही मा ...:))
ReplyDeleteमनोरंजक लगा ......
ReplyDeleteबहुत खूब !!!!
ReplyDelete