This is my 50th post over dis blog. Truelly speaking, i get bored wid things very soon n wen i started dis blogging, i had no idea that even a single person will follow me except a few friends of mine but for my surprise nw i have a no. of frnds here.
Today i want to treat you ol wid my VERY FIRST POEMS.
मुझे अच्छी तरह याद है कि इनमें से पहली कवित मैंने कोई १२ साल की उम्र में लिखी थी. कारगिल युद्ध के समय हम्रा विद्यालय से कारगिल के जवानों के लिए पोस्टकार्ड भेजे जाने थे और हर बच्चे को कुछ लिखना था. तब मैंने उस खुले मैदान में बैठ कर ये कविता लिखी थी.
उठो जवानों वक़्त आ गया अब हिम्मत दिखलाने का
दुश्मन के नापाक इरादे मिट्टी में दफ़नाने का
गांधीवादी बन कर हमने अब तक तो था मौन धरा
अब ऐसा कुछ कर जायेंगे कांप उठेगी वसुंधरा
अब मैं अपनी लिखी कोई कविता इतनी बार नहीं पढटी जितना इस कविता को पढा था. और उस वक़्त मुझे ये दुनिया की सबसे बेहतरीन कविता लगती थी.. आज सोचो तो हंसी आती है.
दूसरी कविता उसी शाम मैंने लिखी थी जो कुछ इस तरह थीः
सहमी सहमी, चुप चुप सी...बैठी आंगन के कोने मे
बचपन भूली, यौवन भूली...घर आंगन के कामों में
पत्नी,मां,बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
फिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है
ये कविता आज भी मेरी पसंदीदा कविताओं में से एक है. अपने घर वालों को इस ब्लोग के बनने तक मैं ये यकीन नहीं दिला पायी थी कि मैं इन्हें कहीं से चुरा कर नहीं ला रही हूं. मेरे भाई बहन को आज तक भरोसा नही है इस बात का. हां शायद मां अब मान गई हैं... अब मुझे खुश करने के लिए मान गईं हैं या सच में मान गईं हैं ये कहना मुश्किल है :D
सहमी सहमी, चुप चुप सी...बैठी आंगन के कोने मे
ReplyDeleteबचपन भूली, यौवन भूली...घर आंगन के कामों में
पत्नी,मां,बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
फिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है
monali ahsason ki zameen par bahut wazandar shuruaat--
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - देखें - 'मूर्ख' को भारत सरकार सम्मानित करेगी - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - देखें - 'मूर्ख' को भारत सरकार सम्मानित करेगी - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
सहमी सहमी, चुप चुप सी...बैठी आंगन के कोने मे
ReplyDeleteबचपन भूली, यौवन भूली...घर आंगन के कामों में
पत्नी,मां,बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
फिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है
बहुत कमाल पंक्तियाँ..... प्रभावी अभिव्यक्ति
वैसे मुझे लगता है माँ मन गयी है . १२ साल की उम्र में लिखी कविता पढ़कर गर्व हो आया होगा उनको अपनी प्यारी बिटिया पर. ऐसे ही सुबह शाम लिखते रहो , हम तो ये जानते है की सुन्दर कविताओ का उदगम है तुम्हारा मन.
ReplyDeleteउठो जवानों वक़्त आ गया अब हिम्मत दिखलाने का
ReplyDeleteदुश्मन के नापाक इरादे मिट्टी में दफ़नाने का
गांधीवादी बन कर हमने अब तक तो था मौन धरा
अब ऐसा कुछ कर जायेंगे कांप उठेगी वसुंधरा
....wakai is kavita me aapke bal man ki komal bhawnayen hai ....aur gussa bhi..des prem bhi...aur patience ki inthaa bhi....aapke 50th post par badhai ...aage bhi jari rakhe ..hamaari to yahi kaamna hai..thanks a lot for sharing these nice poem...
५० वीं पोस्ट के लिए बधाई ..दोनों कविताएँ अच्छी लगीं ..
ReplyDeleteCongrats for the 50th post.. Keep writing..
ReplyDeleteha ha ha... agar pahli kavita ka pravah..khaskar us chhoti si umra men itna behtareen rahega ...kisi ke liye bhi yah yaqeen karna mushkil hoga ki wah aapka... baharhaal... bahut achhi panktyaan hain aapki..mazjhe hue kavi ki tarah likhi gayee hain wo...pachaasveen post kee shubhkamnayen..happy blogging
ReplyDeleteअसली कविता तो दूसरी वाली ही है।
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन प्रस्तुति १२ साल की उम्र में ये कविता ?????!!!!!!कमा......ल है. आपका भविष्य बहुत उज्जवल है ऐसे लिखती रहें आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे
ReplyDeletedonon kavitaye bhaoot sunder hai....
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकारगिल पर लिखी कविता बहुत बहुत अच्छी लगी...इतना अच्छा आपका लिखा हैरान कर गया.
ReplyDeleteअपनी दोस्त मंडली में हमें भी शामिल कर लीजिए.
जज़्बात पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.....
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट है आपकी......दोनों रचनाएँ बढ़िया लगीं.....दूसरी ज्यादा पसंद आई......पर अब ये दुर्बल और बेबस होने का रोना बंद होना चाहिए.......क्योंकि आपकी पहली रचना ही दूसरी का जवाब है .......शुभकामनायें
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeletenaari bebas nahin hai, bus use to apni shalti pahahanani hai.
ReplyDeleteबहुत सारी शुभकामनाएं 50वीं पोस्ट पर ...दोनों ही रचनाएं बहुत अच्छी लगीं ...पहले का लिखा देखकर सच में खुशी होती है और यही मन में आता है कि कैसे लिखा गया....50वीं पोस्ट पर आपकी फॉलोवर की संख्या मुझसे जुड़कर 70 हो जाएगी......
ReplyDeletehttp://veenakesur.blogspot.com/
पहली बार आपके ब्लॉग पर आई. आपकी रचनाएँ तो बहुत खूबसूरत हैं.. सुन्दर शब्दों में सहेज लिया आपने अपने मन की बात को........बधाई.
ReplyDelete'सप्तरंगी प्रेम' के लिए आपकी प्रेम आधारित रचनाओं का स्वागत है.
hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकती हैं.
शुरुआत में कविता एक रोमांच होती ....पहली कविता....पहली बार कहीं प्रकाशित होना ....बहुत रोमांचक होता है .....अच्छी लगी आपकी कविताएं !
ReplyDeleteबहुत कमाल की पंक्तियाँ..... प्रभावी अभिव्यक्ति|
ReplyDeleteपत्नी,मां,बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
ReplyDeleteफिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है|
jo sandeh aapke paiwar ko hai vah mujhhe bhi hai ....ha ha ha sachhai hamen jrur bataiga kaise lkhti hai itni sundar rachna ?
oh...so its not just me....sabki shuruaat aise hi hoti hai....pehle deshprem...phir naari... ;)
ReplyDeletetrust me...meri shuruaat bhi isi order mein thi....hihihi
par haan, 12 ki umr mein likhi gayi meri lines itni khoobsurat nahin thi...awesome dear :)
loved both of ur earliest works!kai saalo se likh raha hoon..aaj tak main itna achha nahi likh paata!:) keep writing!
ReplyDeleteमोनाली जी, जीवन के दो रूप दिखाती हैं ये दोनों कविताएं। इस सार्थक चिंतन के लिए आपको बधाई।
ReplyDelete---------
प्रेत साधने वाले।
रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्या?
आपकी कविता बहुत ही अच्छी है। मेरे पास कोई श्द नही है। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteहम तो मान गए कि ये आपने ही लिखे हैं और बेहतरीन लिखे हैं ...
ReplyDeleteदोनों कविता लाजवाब हैं ...
पचासवीं पोस्ट के लिए बधाई, मोनाली जी।
ReplyDeleteबारह वर्ष की उम्र में इतनी अच्छी कविता लिखी आपने, आप में नैसर्गिक काव्य प्रतिभा है।
दोनों कविताएं बहुत ही अच्छी लगीं।...शुभकामनाएं।
उठो जवानों वक़्त आ गया अब हिम्मत दिखलाने का
ReplyDeleteदुश्मन के नापाक इरादे मिट्टी में दफ़नाने का
गांधीवादी बन कर हमने अब तक तो था मौन धरा
अब ऐसा कुछ कर जायेंगे कांप उठेगी वसुंधरा
आपने जिस उम्र में यह कविता कही, उस उम्र के हिसाब से अच्छी है क्यूँकि विचार और संदेश स्पष्ट हैं, कविता में ओज है, हॉं अब 12 साल बाद सोच में बदलाव आना चाहिये, जहॉं गॉंधी का नाम हो वहॉं कहने का तरीका गॉंधीवादी ही होना चाहिये। आपने उस समय ध्यान दिया या नहीं यह मार्चिंग साँग की लय पर है लैफ़्ट राईट लैफ़्ट।
सहमी सहमी, चुप चुप सी...बैठी आंगन के कोने मे
बचपन भूली, यौवन भूली...घर आंगन के कामों में
पत्नी, मां, बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
फिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है।
12 वर्ष पहले स्कूल शिक्षा के दौरान यह अनुभूति, क्या आप तीस वर्ष की उम्र तक स्कूल में ही पढ़ रही थीं, इस अनुभूति के लिये बच्ची या तो मॉं से बहुत जुड़ी हुई होना चाहिये और नेसर्गिक कवियित्री होना चाहिये या कम से कम तीस साल की उम्र होना चाहिये।
अगर कोई शंका करता है तो ग़लत नहीं, छोटी उम्र के हिसाब से दूसरी कविता गंभीर है।
बधाई, सच्चे लेखन के लिये।
मोनाली जी,
ReplyDeleteदोनों ही कविताओं में प्रवाह के साथ साथ भावनाओं का सम्प्रेषण बखूबी हो रहा है !
आप की कवितायें इस बात की गवाह हैं कि आप संवेदनशील हैं और अच्छी कवितायें लिखती हैं!
शुभकामनाएं ,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
बहुत खूबसूरत अंदाज़ में अति सुन्दर कविता लिखी है आपने।.
ReplyDeleteआपका ब्लाग का प्रयास अच्छा है मैं आपके ब्लाग को फालो कर रहा हूँ ।
ReplyDeleteमोनाली जी, सोचने को विवश करती है यह कविता।
ReplyDeleteइसे हमारे साथ साझा करने का शुक्रिया।
---------
आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?
५०वीं पोस्ट की बधाई मोनाली जी,
ReplyDeleteदोनों कवितायें पसंद आयीं..
ऐसे ही लिखते रहिये, और कई दोस्त मिलेंगे..
खूबसूरत अंदाज़ में अति सुन्दर कविता लिखी है आपने
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
ReplyDelete।।नूतन वर्षाभिनंदन।।
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ बढ़िया ... बधाई
ReplyDeletebahut sunder,likhte rahiye anvaratdono kavita behatarin hain
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