Saturday, December 11, 2010

पहली दो कवितायें

This is my 50th post over dis blog. Truelly speaking, i get bored wid things very soon n wen i started dis blogging, i had no idea that even a single person will follow me except a few friends of mine but for my surprise nw i have a no. of frnds here.

Today i want to treat you ol wid my VERY FIRST POEMS.

मुझे अच्छी तरह याद है कि इनमें से पहली कवित मैंने कोई १२ साल की उम्र में लिखी थी. कारगिल युद्ध के समय हम्रा विद्यालय से कारगिल के जवानों के लिए पोस्टकार्ड भेजे जाने थे और हर बच्चे को कुछ लिखना था. तब मैंने उस खुले मैदान में बैठ कर ये कविता लिखी थी.

उठो जवानों वक़्त आ गया अब हिम्मत दिखलाने का
दुश्मन के नापाक इरादे मिट्टी में दफ़नाने का
गांधीवादी बन कर हमने अब तक तो था मौन धरा
अब ऐसा कुछ कर जायेंगे कांप उठेगी वसुंधरा




अब मैं अपनी लिखी कोई कविता इतनी बार नहीं पढटी जितना इस कविता को पढा था. और उस वक़्त मुझे ये दुनिया की सबसे बेहतरीन कविता लगती थी.. आज सोचो तो हंसी आती है.

दूसरी कविता उसी शाम मैंने लिखी थी जो कुछ इस तरह थीः


सहमी सहमी, चुप चुप सी...बैठी आंगन के कोने मे
बचपन भूली, यौवन भूली...घर आंगन के कामों में
पत्नी,मां,बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
फिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है



ये कविता आज भी मेरी पसंदीदा कविताओं में से एक है. अपने घर वालों को इस ब्लोग के बनने तक मैं ये यकीन नहीं दिला पायी थी कि मैं इन्हें कहीं से चुरा कर नहीं ला रही हूं. मेरे भाई बहन को आज तक भरोसा नही है इस बात का. हां शायद मां अब मान गई हैं... अब मुझे खुश करने के लिए मान गईं हैं या सच में मान गईं हैं ये कहना मुश्किल है :D

39 comments:

  1. सहमी सहमी, चुप चुप सी...बैठी आंगन के कोने मे
    बचपन भूली, यौवन भूली...घर आंगन के कामों में
    पत्नी,मां,बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
    फिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है

    monali ahsason ki zameen par bahut wazandar shuruaat--

    ReplyDelete

  2. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - देखें - 'मूर्ख' को भारत सरकार सम्मानित करेगी - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

    ReplyDelete

  3. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - देखें - 'मूर्ख' को भारत सरकार सम्मानित करेगी - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

    ReplyDelete
  4. सहमी सहमी, चुप चुप सी...बैठी आंगन के कोने मे
    बचपन भूली, यौवन भूली...घर आंगन के कामों में
    पत्नी,मां,बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
    फिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है

    बहुत कमाल पंक्तियाँ..... प्रभावी अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  5. वैसे मुझे लगता है माँ मन गयी है . १२ साल की उम्र में लिखी कविता पढ़कर गर्व हो आया होगा उनको अपनी प्यारी बिटिया पर. ऐसे ही सुबह शाम लिखते रहो , हम तो ये जानते है की सुन्दर कविताओ का उदगम है तुम्हारा मन.

    ReplyDelete
  6. उठो जवानों वक़्त आ गया अब हिम्मत दिखलाने का
    दुश्मन के नापाक इरादे मिट्टी में दफ़नाने का
    गांधीवादी बन कर हमने अब तक तो था मौन धरा
    अब ऐसा कुछ कर जायेंगे कांप उठेगी वसुंधरा
    ....wakai is kavita me aapke bal man ki komal bhawnayen hai ....aur gussa bhi..des prem bhi...aur patience ki inthaa bhi....aapke 50th post par badhai ...aage bhi jari rakhe ..hamaari to yahi kaamna hai..thanks a lot for sharing these nice poem...

    ReplyDelete
  7. ५० वीं पोस्ट के लिए बधाई ..दोनों कविताएँ अच्छी लगीं ..

    ReplyDelete
  8. ha ha ha... agar pahli kavita ka pravah..khaskar us chhoti si umra men itna behtareen rahega ...kisi ke liye bhi yah yaqeen karna mushkil hoga ki wah aapka... baharhaal... bahut achhi panktyaan hain aapki..mazjhe hue kavi ki tarah likhi gayee hain wo...pachaasveen post kee shubhkamnayen..happy blogging

    ReplyDelete
  9. असली कविता तो दूसरी वाली ही है।

    ReplyDelete
  10. बहुत बेहतरीन प्रस्तुति १२ साल की उम्र में ये कविता ?????!!!!!!कमा......ल है. आपका भविष्य बहुत उज्जवल है ऐसे लिखती रहें आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे

    ReplyDelete
  11. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  12. कारगिल पर लिखी कविता बहुत बहुत अच्छी लगी...इतना अच्छा आपका लिखा हैरान कर गया.
    अपनी दोस्त मंडली में हमें भी शामिल कर लीजिए.

    ReplyDelete
  13. जज़्बात पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.....

    बेहतरीन पोस्ट है आपकी......दोनों रचनाएँ बढ़िया लगीं.....दूसरी ज्यादा पसंद आई......पर अब ये दुर्बल और बेबस होने का रोना बंद होना चाहिए.......क्योंकि आपकी पहली रचना ही दूसरी का जवाब है .......शुभकामनायें

    ReplyDelete
  14. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  15. naari bebas nahin hai, bus use to apni shalti pahahanani hai.

    ReplyDelete
  16. बहुत सारी शुभकामनाएं 50वीं पोस्ट पर ...दोनों ही रचनाएं बहुत अच्छी लगीं ...पहले का लिखा देखकर सच में खुशी होती है और यही मन में आता है कि कैसे लिखा गया....50वीं पोस्ट पर आपकी फॉलोवर की संख्या मुझसे जुड़कर 70 हो जाएगी......

    http://veenakesur.blogspot.com/

    ReplyDelete
  17. पहली बार आपके ब्लॉग पर आई. आपकी रचनाएँ तो बहुत खूबसूरत हैं.. सुन्दर शब्दों में सहेज लिया आपने अपने मन की बात को........बधाई.

    'सप्तरंगी प्रेम' के लिए आपकी प्रेम आधारित रचनाओं का स्वागत है.
    hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकती हैं.

    ReplyDelete
  18. शुरुआत में कविता एक रोमांच होती ....पहली कविता....पहली बार कहीं प्रकाशित होना ....बहुत रोमांचक होता है .....अच्छी लगी आपकी कविताएं !

    ReplyDelete
  19. बहुत कमाल की पंक्तियाँ..... प्रभावी अभिव्यक्ति|

    ReplyDelete
  20. पत्नी,मां,बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
    फिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है|
    jo sandeh aapke paiwar ko hai vah mujhhe bhi hai ....ha ha ha sachhai hamen jrur bataiga kaise lkhti hai itni sundar rachna ?

    ReplyDelete
  21. oh...so its not just me....sabki shuruaat aise hi hoti hai....pehle deshprem...phir naari... ;)
    trust me...meri shuruaat bhi isi order mein thi....hihihi

    par haan, 12 ki umr mein likhi gayi meri lines itni khoobsurat nahin thi...awesome dear :)

    ReplyDelete
  22. loved both of ur earliest works!kai saalo se likh raha hoon..aaj tak main itna achha nahi likh paata!:) keep writing!

    ReplyDelete
  23. मोनाली जी, जीवन के दो रूप दिखाती हैं ये दोनों कविताएं। इस सार्थक चिंतन के लिए आपको बधाई।

    ---------
    प्रेत साधने वाले।
    रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्‍या?

    ReplyDelete
  24. आपकी कविता बहुत ही अच्छी है। मेरे पास कोई श्द नही है। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

    ReplyDelete
  25. हम तो मान गए कि ये आपने ही लिखे हैं और बेहतरीन लिखे हैं ...
    दोनों कविता लाजवाब हैं ...

    ReplyDelete
  26. पचासवीं पोस्ट के लिए बधाई, मोनाली जी।

    बारह वर्ष की उम्र में इतनी अच्छी कविता लिखी आपने, आप में नैसर्गिक काव्य प्रतिभा है।

    दोनों कविताएं बहुत ही अच्छी लगीं।...शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  27. उठो जवानों वक़्त आ गया अब हिम्मत दिखलाने का
    दुश्मन के नापाक इरादे मिट्टी में दफ़नाने का
    गांधीवादी बन कर हमने अब तक तो था मौन धरा
    अब ऐसा कुछ कर जायेंगे कांप उठेगी वसुंधरा
    आपने जिस उम्र में यह कविता कही, उस उम्र के हिसाब से अच्‍छी है क्‍यूँकि विचार और संदेश स्‍पष्‍ट हैं, कविता में ओज है, हॉं अब 12 साल बाद सोच में बदलाव आना चाहिये, जहॉं गॉंधी का नाम हो वहॉं कहने का तरीका गॉंधीवादी ही होना चाहिये। आपने उस समय ध्‍यान दिया या नहीं यह मार्चिंग साँग की लय पर है लैफ़्ट राईट लैफ़्ट।

    सहमी सहमी, चुप चुप सी...बैठी आंगन के कोने मे
    बचपन भूली, यौवन भूली...घर आंगन के कामों में
    पत्नी, मां, बेटी के पद उसकी ज़िम्मेदारी हैं
    फिर भी इतनी बेबस दुर्बल क्यूं दुनिया में नारी है।
    12 वर्ष पहले स्‍कूल शिक्षा के दौरान यह अनुभूति, क्‍या आप तीस वर्ष की उम्र तक स्‍कूल में ही पढ़ रही थीं, इस अनुभूति के लिये बच्‍ची या तो मॉं से बहुत जुड़ी हुई होना चाहिये और नेसर्गिक कवियित्री होना चाहिये या कम से कम तीस साल की उम्र होना चाहिये।
    अगर कोई शंका करता है तो ग़लत नहीं, छोटी उम्र के हिसाब से दूसरी कविता गंभीर है।
    बधाई, सच्‍चे लेखन के लिये।

    ReplyDelete
  28. मोनाली जी,
    दोनों ही कविताओं में प्रवाह के साथ साथ भावनाओं का सम्प्रेषण बखूबी हो रहा है !
    आप की कवितायें इस बात की गवाह हैं कि आप संवेदनशील हैं और अच्छी कवितायें लिखती हैं!
    शुभकामनाएं ,
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    ReplyDelete
  29. बहुत खूबसूरत अंदाज़ में अति सुन्दर कविता लिखी है आपने।.

    ReplyDelete
  30. आपका ब्लाग का प्रयास अच्छा है मैं आपके ब्लाग को फालो कर रहा हूँ ।

    ReplyDelete
  31. मोनाली जी, सोचने को विवश करती है यह कविता।

    इसे हमारे साथ साझा करने का शुक्रिया।

    ---------
    आपका सुनहरा भविष्‍यफल, सिर्फ आपके लिए।
    खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्‍या जानते हैं?

    ReplyDelete
  32. ५०वीं पोस्ट की बधाई मोनाली जी,
    दोनों कवितायें पसंद आयीं..
    ऐसे ही लिखते रहिये, और कई दोस्त मिलेंगे..

    ReplyDelete
  33. खूबसूरत अंदाज़ में अति सुन्दर कविता लिखी है आपने

    ReplyDelete
  34. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    ReplyDelete
  35. ।।नूतन वर्षाभिनंदन।।

    ReplyDelete
  36. दोनों रचनाएँ बढ़िया ... बधाई

    ReplyDelete
  37. bahut sunder,likhte rahiye anvaratdono kavita behatarin hain

    ReplyDelete