Saturday, December 4, 2010
तुम और तम...
नींद मेरी आंखों से कोसों दूर रहती है
बोझिल होती हैं पलकें मगर आराम नहीं
ये रात मुझे जगये रख कर बहुत कुछ कहती है
मेरी तन्हाई और अपने अंधेरे को तौला करती है,
पता नहीं...
मेरे हिस्से में कडवाहट ज़्यादा या व ही ज़्यादा सहती है?
बांटा करती है अपने दामन में छिपा कर रखे काले किस्से
मेरी ये सहेली भी मेरी तरह उजालों से डरा करती है
कई बार इसकी बातों को नज़रांदाज़ कर जाती हूं
इसके किस्सों को दरकिनार कर आगे बढ जाती हूं
मगर दूसरे ही पल इस पछतावे से घिर जाती हूं...
कि ये तो अपनी कालिमा में मेरे आंसू छिपा लेती है,
है तिमिर से घिरी, उपेक्षित...फिर भी दोस्ती निभा लेती है...
फिर मुझमें ये स्वार्थ क्यूं जाना?
और तब से ही इसे सुनती हूं...हर रोज़...बिना नागा...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अरे वाह !!
ReplyDeleteअपनी आँखों में नींद आने दीजिये... पलकों थोडा आराम भी दें...
रात से दोस्ती तोड़ कर सुरल की सुबह की लालिमा से निकटता बढाएं..अच्छा लगेगा...
पहचान कौन चित्र पहेली ...
... sundar rachanaa ... shaandaar !!!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता. गहरे जज्बात भरे है. कभी कभी नींद भी अच्छी दोस्त नहीं रह जाती. ........
ReplyDeleteमन की भावनाओं से जूझती सी रचना ...
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना.....
ReplyDeleteबांटा करती है अपने दामन में छिपा कर रखे काले किस्से
ReplyDeleteमेरी ये सहेली भी मेरी तरह उजालों से डरा करती है
सुन्दर रचना।
मन के भावों का सहज प्रवाह्।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरती से लिखे हैं मन के भाव
ReplyDeleteसहज-सरल भानाओं की सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुन्दर एवं भावप्रवण अभिव्यक्ति. पलकों को जल्दी जल्दी झपकने दो, मार्तंड की सुनहली किरणों में लिपटे उजाला इंतजार कर रहा है .
ReplyDeleteआखिरी पंक्ति सहज और ठोस भाव से भरी है कि कविता को पूर्णता देती है. पूरी कविता बहुत सुंदर !
ReplyDeleteaakhiri lafz mujhe zara samajh nahin aaye...please forgive my stupidity ;)
ReplyDeletepar baaqi nazm...wahh....kya khoob likha hai aapne, just tooo good, great reading u :)
@saanjh... aapko shayad naaga shabd ka matlab samajh nahi aaya..BINA NAGA ka matlab h WIDOUT GAP :)
ReplyDeleteनींद अक्सर जाग जाती है उस पल ... जब यादें घिर अति हैं ...
ReplyDeleteगहरे भाव लिए रचना ..
sundar bhavabhivyakti
ReplyDeletenice one...
ReplyDeletemeri aankhon se kosho door rahti hai nind...palke bojhil hoti hai par aaram nahi..nind bin sab sun..aaram kahan se...
oh ok...thanks :)
ReplyDeleteबांटा करती है अपने दामन में छिपा कर रखे काले किस्से
ReplyDeleteमेरी ये सहेली भी मेरी तरह उजालों से डरा करती है
वाह मोनाली जी, बहुत खूब ...कितनी गहरी बात कही है आपने...बधाई स्वीकार करें।
भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति ...मगर दिल को छूने वाली ...शुक्रिया
ReplyDeleteमोनाली जी,
ReplyDeleteनमस्ते!
हम तो लोट-पोट हुए हँसते-हँसते!
रात होती है सपने देखने के लिए.... रोने के लिए नहीं!
कविता का शीर्षक:तुम और तम, बेहद सैड है.
किसी तुम के साथ हम मिलाईये,
'हम-तुम' बनके कोई रोमांटिक कविता सुनाईये!
कभी किसी बात पर इतना मत पछ्ताईये!
ज़िन्दगी के साथ कदम-ताल मिलाईये!
घूँट-घूँट मुहब्बत का जाम पीजिये!
ज़िंदगी को सीरियसली नहीं, सिंसीअर्ली लीजिये!
आपका भी,
आशीष
sabse pahle to sorry ki main bahut dino se aapke blog par aane ki soch raha hoon lekin nahi aa paay to pahle to main aapka follower ban gaya .. aaj soch , ki office jaane ke pahle aapke blog ko dekha jaaye .. sach kahun aapki saari kavitaye bahut acchi hai kuch na kuch kahti hai aur man me utar jaati hai /........dil ko choo leni wali abhivyakti ke liye aapko salaam .. saari kavitaye bahut bahut acchi hai ...
ReplyDeletemeri dil se badhayi sweekar kijiye ..
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
09849746500
सुंदर रचना बेहतरीन कविता बहुत कुछ कहते शब्दों से परिपूर्ण है उम्दा पोस्ट ...............
ReplyDeleteये दर्द कविता का है या कवि का....जो भी है मगर अब तो है यह सभी का....!!शब्द जब तक मन में होता है तभी तक अपना होता है....पन्ने पर उतरते ही उसका अर्थ बन जाता है सभी का.....है ना...मोनाली....!!
ReplyDeleteapne aap ko padhti ayr swaym se joojhti kavita achchhi lagi...
ReplyDeleteखूबसूरती से लिखे हैं मन के भाव ,बेहतरीन कविता
ReplyDelete...
कुछ अलग सा ...दिल को छू गया !
ReplyDeleteअँधेरे का यूँ दर्द बांटना बहुत अच्छा लगा. अभिव्यक्ति भी बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeleteआज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ....बढ़िया लगा आपका ब्लॉग....ग़ज़ल बहुत ही प्यारी है.........आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि साथ बना रहे......शुभकामनाये.....
ReplyDeleteकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को को भी)
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
http://qalamkasipahi.blogspot.com/
एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
bahot sunder.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत - बहुत शुभकामना
बांटा करती है अपने दामन में छिपा कर रखे काले किस्से
ReplyDeleteमेरी ये सहेली भी मेरी तरह उजालों से डरा करती है
so much pain inflicted...it's so deep and intense....nyways wonderful write....god bless!
दिलकश भावों से सजी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
अच्छा लगा पढ़कर
आभार
क्रिएटिव मंच के नए कार्यक्रम 'सी.एम.ऑडियो क्विज़' में आपका स्वागत है.
यह आयोजन कल रविवार, 12 दिसंबर, प्रातः 10 बजे से शुरू हो रहा है .
आप का सहयोग हमारा उत्साह वर्धन करेगा.
धन्यवाद
......सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहोत ही सुन्दर रचना है !
ReplyDeleteनए वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाये और इसके साथ है नए साल में मै आपका follower बन गया हूँ.