Wednesday, March 21, 2012
तुम मेरे जानने वालों में सबसे बुरे हो लडके...
बचपन में अम्मा अक्सर भूत-प्रेत, ऊपरी असर, ना जाने कौन्-कौन सी अलाओं-बलाओं से बचाने के लिये झाडा लगवाने ले जाती थीं. ज़रा जुकाम हुआ नहीं कि नज़र उतारने के बीसियों टोटके तैयार... आज अगर वो होतीं तो पूछते कि फरिश्तों के असर से निज़ात दिलाने के लिए कहीं कोई झाडे नहीं लगते, कहीं कोई तन्त्र-मन्त्र नहीं करता क्या कि मेरी रूह पर लम्बे अरसे से एक फरिश्ते ने कब्ज़ा कर रखा है...
फरिश्ता है इसलिये कोई खास तक़लीफ तो नहीं देता लेकिन ये भी क्या कम कोफ्त है कि आप पर आपसे ज़्यादा किसी और का हखो जाये? आप हंसना चाहो और तभी फरिश्ते की कोई उदासी आ कर होठों से सारी मुस्कुराहट सोख ले जाये... उलझनों से आजिज़ आ कर आप मौत के साथ एक long drive पर जाने की तैयारी में हो कि बस फरिश्ता हाथों में हाथ डाले किसी अनजान राह पर दूर तक पैदल ले जाये और रास्ते में कमर पर उंगलियां फेर कर इस तरह गुदगुदाये कि आपकी हंसी से बंध कर तमाम खुशियां ज़िन्दगी में चली आयें.
वो मुझे मेरी ज़िन्दगी जीने का सच में एक दम ही कोई मौका नहीं देता और मैं उस से इतनी नफरत करती हूं जितनी कि मैंने बचपन में किसी से अपने रंग चुरा लेने पर भी नहीं की होगी.
बेशक वो फरिश्ता है लेकिन अपनी (और अब उसके साथ बंटी हुई) ज़िन्दगी में मैं जितने भी लोगों से मिली हूं उनमें वो सबसे बुरा है... सबसे बुरा. और उसकी सबसे बुरी बात ये है कि जब मैं उसे ये सब कहती हूं तो उसे पता चल जाता है कि ये बस एक तरीका भर है उसे बांहों में भर लेने को उठने वाली तलब को झिडक कर वापस सुला देने का...
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तुम्हें सोच कर..
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अपनी ज़िन्दगी खुद अपने बस में न हो पाने की ख़ुशी ही कुछ अजीब होती है... वो कोई ख़ास है जिसका होना न होना, हमारी साँसों की गिरहों से जुड़ा होता है... जाने कितनी बार सोचा उस फ़रिश्ते को कह दूं कि मेरी साँसों की जुम्बिश तभी मुकम्मल होती है जब वो अपना हाथ मेरे हाथों में दे देता है...
ReplyDeleteआप हंसना चाहो और तभी फरिश्ते की कोई उदासी आ कर होठों से सारी मुस्कुराहट सोख ले जाये... उलझनों से ..bahut hi sunder abhivyakti , badhai .
ReplyDeleteकितना भी बनावटी नापसंदगी दिखा लो...कोई फायदा नहीं....मत भूलो...वो फरिश्ता है...
ReplyDeletei love your writing style monali...
very addictive..
ये भी क्या कम कोफ्त है कि आप पर आपसे ज़्यादा किसी और का हखो जाये?
ReplyDeleteख़ूबसूरत :)
as usual beautifully expressed.
ReplyDeleteये बस एक तरीका भर है...
ReplyDeleteमन की भावनाओं को शब्दों में पिरोना कोई आपसे सीखे.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
I am speechless Monali, It's awesome!!!!
ReplyDeleteवाकई में नहीं सोचा क्या फरिश्तों को भी तंत्र-मन्त्र से भगाया जाना चाहिए!!!!
very well written!!!!
सार्थक और सामयिक प्रविष्टि, आभार.
Deleteकृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नवीनतम प्रविष्टि पर भी पधारें.
प्रेम और समर्पण के चटक रंग.हर शब्द जैसे धीरे धीरे खिलते हुए फूल.
ReplyDeleteवाह....क्या अनोखे ढंग से प्यारी-सी बात कही है आपने....!!
ReplyDeletepyaar ka anokha andaaz...nafrat hai usi se jise zindagi de baithe...bahut acchhi rachna...
ReplyDeleteबहुत कम जगह ही फ़रिश्ते को बुरा बताते हुए देखा है , वाकई एक प्यार भरी नयी सोच |
ReplyDeleteतारीफ के काबिल |
-आकाश