Tuesday, March 20, 2012

बस... एक आवाज़ भर है!!!


ये भी क्या कम सुकून है कि तुम्हारी आवाज़ मेरी पहुंच के बाहर नहीं है कि इसे तुम खुद ही सहेज गये हो शायद मेरे ही लिये. तुम्हारा अक्स कभी छाया बन कर मेरी आंख की पुतली से नहीं गुज़रा. तुम्हारी खुश्बू कभी मेरी सांसों के साथ जकडी हुई मेरे फेफडों में पहुंच कर हमेशा के लिए कैद हो कर नहीं रह गई. लेकिन, तुम्हारी आवाज़... तुम्हारी आवाज़ मेरे खुले बालों को हौले से परे हटा कर मेरे कानों को सहलाती हुई जाने कौन-से रास्ते से मेरे दिल तक पहुंची है.
और अब तुम्हारी आवाज़ दिन-रात मेरे अंदर बात-बेबात... वक़्त-बेवक़्त... तेज़ी से चक्कर काटती रहती है. जब बहुत ज़्यादा घुटने लगती है तब शायद दिल से उठ कर गले तक आती है. पल भर के लिए कोई गोला-सा फंस जाता है गले में, मैं देर तक अपनी ही आवाज़ सुनने को छटपटाती रहती हूं कि तुम तो जानते ही हो कि मुझसे सन्नाटा बर्दाश्त नहीं होता. ये सन्नाटा आपको खुद को समझने का कुछ वक़्त दे देता है और मैं अपने आप को समझ कर एक बार फिर सब कुछ उलझाना नहीं चाहती. ख़ैर.. गले में अटकी तुम्हारी आवाज़ कुछ देर बाद, कभी तुम्हारी याद 'की' हिचकी या कभी तुम्हारी याद 'में' सिसकी के साथ आज़ाद हो जाती हूं और फिर अंदर जैसे सब खाली हो जाता है...

और इस खालीपन को भरने के लिए गुस्सा, अवसाद... मेरी घुटती सांस और फंसती आवाज़ के जाने कितने संगी बिन बुलाये चले आते हैं. बडे हक़ के साथ मेरे अंदर आवारा टहलते रहते हैं... तब तक कि जब तक तुम्हारी आवाज़ एक बार फिर आ कर सब कुछ आबाद ना कर दे, किसी ज़िम्मेदार मां की तरह अपनी बेटी के बिगडैल दोस्तों को झिडक कर भगा देती है... मायके से कई रोज़ बाद लौटी गृहस्थिन की तरह अपने अस्त-व्यस्त घर को, पति को और पति की फूंकी सिगरेटों के अधजले टुकडों को देखती है और बस पल्लू कमर में खोंस कर वो सब कुछ निकाल बाहर करती है जो बेवज़ह है.

कहने को बस एक आवाज़ भर है लेकिन कितनी मुकम्मल.. कितनी पूरी है. और नासमझों को लगता है कि इश्क़ करने के लिए किसी शख्स की ज़रूरत है जब मैं बताती हूं कि बस एक आवाज़ भर है जो मुझे अरसे से उलझाये हुये है.

एक आवाज़...जिससे आज कल मेरा इश्क़ परवान चढ रहा है.

13 comments:

  1. bas smile karte rane ka mann kiya poori post mein...:)

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  2. बहुत खूब! प्यार दिवाना होता है ...

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  3. कहने को बस एक आवाज़ भर है लेकिन कितनी मुक्कमल.. कितनी पूरी है. मेरी पसंद का राईटअप, खूबसूरत.

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  4. wah wah!!! aawaz se ishaq, kaafi gaharee aur madhoshi bharee aawaz rahee hogi...

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  5. ishq kisi shakl ka mohtaaj nahin hota ..ye dil ka dard hai jisko jitana jiyo utani trishna badhati hai.!!

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  6. lazabab soch ke saath likha hai....wah.

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  7. आवाज़ मे भी भी दम होता है ...
    बहुत ही कमाल का लिखा है ... एह सांस में पढ़ गया ...

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  8. hey monali ..thanks for visiting my blog and dropping warm comments...
    good luck.

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  9. ये तो एक आवाज़ ही है रूह की... रूह को छूती हुई, जो प्रेम को इतनी सुन्दरता से व्यक्त कर जाती है!

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  10. बढ़िया अभिव्यक्ति.....
    शुभकामनायें आपको !

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  11. बेहद खूबसूरत पोस्ट...आवाजों में मैं भी उलझी उलझी रहती हूँ अक्सर...ये अपने मन की बात पढ़ने जैसा था.

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  12. अद्भुत !
    होता है आवाज़ का भी वज़ूद और ज़ादू !

    मोनाली जी
    रोचक पोस्ट के लिए आभार !


    ~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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