Monday, May 4, 2009

रिक्ति


जो नहीं मिला तुझे मुझे उस्की तलाश है
जिन्दगी बिन तेरे बेरंग पलाश है
मैं ढूढ्ती,मैं पुकारती
मैं यहां वहां निहारती
तेरे साथ की मुझे अब भी प्यास है
जिन्दगी बिन तेरे बेरंग पलाश है

हर जगह, हर कहीं ढूढे मेरी नजर उसे
हां वही कि तू नहीं हासिल कर सका जिसे
हमारे उस घरौदे की मुझे अब भी आस है
जिन्दगी बिन तेरे बेरंग पलाश है

3 comments:

  1. Really i m very surprised to see tht someone of my age can write such type of poems with a very nice hindi .......really u & ur poems are awesome ......

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  2. mast waali ....poem again...mazaa aata hai bahut padne me....keep writing n get it published yaar ..saari ki saari n meri copy free me dena wid autograph..:)

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