अंततः मेरे ही सम्मुख आओगे
सत्यता मुझमें ही शामिल पाओगे
चख लो नीर करोड़ों सागर का, किन्तु मिठास गंगाजल में ही पाओगे
कदम से कदम मिला ले भले कोई
मित्रता का सार मुझसे ही पाओगे
अंततः मेरे ही सम्मुख आओगे
सत्यता मुझमें ही शामिल पाओगे
एक बार हाथ बढाकर देखो
फिर कोई दीवार कभी ना पाओगे
म्रत शरीर को कंधा दे देंगे कई
दुःख ढोने को हाथ मेरा ही पाओगे
अंततः मेरे ही सम्मुख आओगे
सत्यता मुझमें ही शामिल पाओगे
हंसी ठिठोली कितने ही करते रहें
आंसुओं से परिचय मेरा कराओगे
लाख होंगे साहिल पर हाथ थाम कर चलने वाले
मझधार में जो किनारा दे वो कश्ती मेरी ही पाओगे
gud yaar....gr8 demonstration of unconditional love!!...keep it up...n nice hindi...:P
ReplyDeleteyou always prove it to be true meri dost
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