घर
लौटते हुये वो दो बच्चियां रोज़ वहीं बैठी दिखती हैं... बडी शायद ९-१० साल
की होगी और छोटी ४-५ साल की, मां बाप शायद आस-पास बन रही किसी इमारत में
मजदूरी करते हैं. शुरु-शुरु में मैं उन्हें देख कर मुस्कुराती तो दोनों
शर्मा के नज़र फेर लेती, फिर कुछ दिन बाद एक नन्हीं सी मुस्कान दिखाई देने
लगी, फिर कुछ और दिनों बाद हाथ हिला कर टाटा भी कहा जाने लगा. बस इत्ती सी
दोस्ती हुई हमारी ...
अभी कुछ रोज़ पहले जैसे ही वहां से गुज़री तो
देखा बडी गायब है और छोटी चिल्ला चिल्ला के रो रही है, अभी सो कर ही जागी
थी शायद और आस पास बहन को ना पा कर डर गई थी. मैं वहीं सीमेंट के बोरों पर
बैठ के उसे चुप कराने की कोशिश कर रही थी मगर उसे हिन्दी नहीं आती और मुझे
गुजराती.. तो बात आगे बढे कैसे?
मगर जैसे ही मैंने कहा, 'चॉकलेट खाती हो?'
बच्ची एक दम चुप, मुस्कुरा के गर्दन हां में हिलाई. तब तक बडी भी आ गई
जिसे टूटी फूटी हिन्दी आती थी.. दोनों को चॉकलेट दिला कर मैंने हमारी
दोस्ती पक्की कर ली है.. :)
Moral of the story : टॉफी चॉकलेट की भाषा सबसे आसान है... बचपन मिठास को सुनता गुनता है ..
सही कहा. टॉफी चॉकलेट की भाषा सबसे आसान है क्योंकि ये प्यार की भाषा होती है :)
ReplyDelete:) मिठास चॉकलेट में हो या वाणी में दोस्ती हो ही जाती है ।
ReplyDeleteये खेल न मिठास का है न चॉकलेट का....
ReplyDeleteये तो सरलता है बचपन की.....किसी बड़े को टॉफी/चॉकलेट खिला कर बहला कर दिखाओ !!!
:-)
अनु
ये तो सच है बचपन हर तरह की मिठास को सुनता है ... चाहे बातों की हो या फिर चोकलेट की ...
ReplyDeleteमिठास सबकी जिंदगी में आये -शुभकामनाएं
ReplyDeletelatestpost पिंजड़े की पंछी
बच्चन साहब इसी लिये तो टीवी पर चोकलेट खाते रहने की सिफारिश कर रहे हैं. वैसे नयी दोस्ती मुबारक. ऐसी संवेदनशीलता औरों से भी अपेक्षित रहती है.
ReplyDeleteसुंदर...मजेदार।।।
ReplyDeleteबचपन मीठा ही होता और मीठा ही खाता है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा
मुझे भी दो, मैं गुस्सा हूँ तुमसे.
ReplyDeleteHum bs Surat wale dosto ko dete hain, courier to karne se rahe.. haan bharosa ho thoda bahut to khareed k kha lo, hum money transfer kar denge tumhare a/c me :P
Deleteओह.. बदसूरत वालों से दोस्ती नहीं करती हो?
DeleteDosti to kamsurat, badsurat sabse karte hain.. toffe bas surat walo ko dete hain.. kaa be PDm chawanprash khana shuru karo tum.. har sahi baat ki relgaadi ko patri se utaar dete ho :P
Delete:)
Deleteबचपन जैसा निश्छल जीवन फिर लौट के नहीं आता ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteनव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा... सुन्दर प्रस्तुति !!!
ReplyDeletesundar
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