Sunday, January 3, 2010
इक शख्स...मेरा अक्स...
तुम पानी में हिलते प्रतिबिम्ब से लगते हो... मेरा प्रतिबिम्ब
मेरी हर अनकही सुनते हो...
मेरी हर अनसुनी कहते हो...
लगता है जैसे मेरी सांसें जीते हो
जब सामने होते हो तो जैसे आंखों ही आंखों में मेरा अक्स पीते हो
झिलमिल करते... जगमग से... पानी से झांकते हो...
मेरी हंसी हंसते हो...
मेरे आंसू रोते हो...
मेरे सपने सजाये अपनी आंखों मे
तुम मेरी नीदें सोते हो...
जानती हूं कि तुम बस मेरे लिये जीते हो...फिर भी डर लगता है
जब पानी पर बना... झिलमिलाता.... जगमगाता...
तुम्हारा प्रतिबिम्ब... हक़ीकत के किसी कंकड से टूट जाता है...
लेकिन हर बीतते दिन के साथ ये डर दूर होता जा रहा है...
क्योंकि ऐसे ढेरों कंकड सहने के बाद भी...
तुम बस डगमगाते हो...
एक पल को ओझल होते हो नजरों से फ़िर वापस आ जाते हो...
मैं जब भी तुम्हें पानी में ढूंढने को झुकती हूं...
तुम मुस्कुराते हुये... पानी से झांकते दिख जाते हो...
कितनी आसानी से मेरा हर डर दूर कर...
... मेरे चेहरे पर खुशी के रंग बिखेर जाते हो
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bahut sunder kavita aapne likhi hai monali ji ....kya kahne apke...
ReplyDeleteअति उत्तम प्रस्तुति है
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो...........
Very well written!!!!
ReplyDeleteबहुत प्यारी सी अभिव्यक्ति हर पल अपने प्रेम को तलाशती उसकी परीक्षा लेती और अपने आप में विश्वास जगती की हाँ तुम हो यहीं कहीं हो
ReplyDeleteHi, I stumbled in at your blog because I wanted to have people with whom to discuss "The white tiger". If you're interested, you can tell me here: http://www.letstalkaboutbollywood.com/article-the-white-tiger-42195430.html
ReplyDeleteThanks!
yves
विगत दिनों की कविता आत्मसमर्पण से आगे कि कविता ... और बहुत सुंदर कविता.
ReplyDeleteकुछ काम आपने बीच में छोड़ दिया है... कुछ प्यास अमित हुआ करती है... कुछ किस्से महज किस्से नहीं होते भले ही तिथियाँ बदल गयी है मगर इंतजार अब भी बना हुआ ही है.
नए साल में ...?
kankad se ik pal ke liye pratibimb kho jate hai par fir lout aate hai muskurate hue...
ReplyDeletesuna tha dil se likhte hain aap
ReplyDeletemahsoos kiya aaj pahli bar
wah wah sab hai lajabab
parchhaain se saath -saath chalte ho /kabhi aage kabhi peechhe /sooraj tum ,chandaa me /aalokit tum se main /saari kayaanat me tum /tum sang kayaanat /kayaanat sang main ....
ReplyDeleteझिलमिल करते... जगमग से... पानी से झांकते हो...
ReplyDeleteमेरी हंसी हंसते हो...
मेरे आंसू रोते हो...
मेरे सपने सजाये अपनी आंखों मे
तुम मेरी नीदें सोते हो...
मन की भावनाओं को बहुत खूबसूरत शब्द दिए हैं
मैं जब भी तुम्हें पानी में ढूंढने को झुकती हूं...
ReplyDeleteतुम मुस्कुराते हुये... पानी से झांकते दिख जाते हो...
कितनी आसानी से मेरा हर डर दूर कर...
... मेरे चेहरे पर खुशी के रंग बिखेर जाते हो
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ! बहुत ही प्यारी रचना ! बधाई !
हर बीतते दिन के साथ यह डर दूर होता जाता है , विश्वास इसी तरह आता है पास धीरे- धीरे !
ReplyDeleteसुन्दर !
na jane wo kaise aisa karta hai
ReplyDeletemujhme mujhse jyada rahta hai
koi mane na mane
koi jane na jane
wo mujhe mujhse jyada samjhta hai...
aur kuch mila nahi apne bhaav prastut karne ke liye... aapki rachna padhkar bas yahi khayal aaya tha...
वाह बहुत ही प्यारी रचना।
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