Monday, January 31, 2011
काश!!! घरों में भी पहिये होते...
सच कहूं तो अब उस मोड से गुज़रने का मन नहीं करता मगर मेरी बदकिस्मती तो देखो कि मेरे घर का रास्ता भी उसी मोड से हो कर जाता है और तब ये खयाल मेरे दिल में आता है कि काश!!! घरों में भी पहिये होते तो उसे धकेल कर तुम्हारी यादों से दूर ले जाती.
अब मैं मुड मुड कर तुम्हारे घर की तरफ भी नहीं देखा करती क्योंकि मै जानती हूं कि वहां से टकटकी बांध कर तुम्हारी आंखें मुझे निहार नहीं रही होंगी. तुम्हारे घर को मैं नज़रअंदाज़ कर देती हूं...तुम्हारी यादों को भी परे झटक देती हूं मगर उस मोड का क्या करूं जहां हर शाम तुम मेरा इंतज़ार किया करते थे? उस मोड पर तुम्हारे होने का अहसास मुझे आज भी होता है... लगता है जैसे मेरे स्कूल से लौटने की राह तुम आज भी देख रहे होगे और जान बूझ कर अपने हाथों में सिगरेट का वो अधजला टुकडा मुझे दिखाओगे. तुम जानते हो कि मेरी भवें तुम्हारी इस हरकत पर तन जायेंगी और मैं भी जानती हूं कि मेरी आंखों के वो जलते अंगारे देख कर भी तुम्हारी मुस्कान की शिद्दत में कोई कमी नहीं आयेगी.
अच्छा एक बात तो बताओ...क्या मैं भी तुम्हारी यादों में अब तक ज़िन्दा हूं? जिस तरह मैं इस चौराहे पर हर रोज़ ठिठक जाती हूं..हर रोज़ खुद को संभालती हूं... अपनी ही यादों के टुकडों को समेट कर आगे बढ़ जाती हूं... क्या तुम्हें भी मैं याद आती हूं???
क्या तुम भी उस शाम को इस चौराहे पर खडा देखा करते हो जब अपनी गुलाबी साडी में मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी और रिमझिम बारिश की बूदों ने सितारे टांक दिये थे मेरे आंचल मे... और फिर तुम आये थे मेरी पसंदीदा उस आसमानी कमीज़ में, मेरे सिर की छत बने... मेरे आसमान की तरह.
उस शाम हमारे बीच जो भी हुआ उसका अफसोस ना मुझे तब था और ना आज ही है क्योंकि मैं जानती हूं कि सितारों की पूर्णता आसमान से ही है... सितारों का वजूद... सब कहते हैं कि अधूरा है आसमान के बिना और अगर पूरा हो भी जाये तो किसी ना किसी की दुआ का तारा बन कर तो उसे टूटना ही होता है. मैं भी तुम्हारे प्यार के आसमान से टूट कर छिटक गई किसी की दुआओं का सितारा बन कर. ज़मीन के उस कोने में पडी, मैं आज भी तुम्हें एक टक देखा करती हूं और जैसा कि अक्सर होता ही है... टूटे हुये तारे को कोई याद नहीं रखता, जिनकी दुआ के लिए तारा टूटता है... वो भी नहीं. मगर मुझे खुशी इस बात की है कि तुम आज भी उस ऊंचाई पर हो जहां कई सितारे तुम्हारे आस पास जगमगाते हैं... तुम्हें पूरा करते हैं. मुझे खुशी है कि तुम उस ऊंचाई पर हो कि जब मैं तुम्हें देख्ती हूं तो कोई हमारे बीच नहीं आता. और ये भरोसा भी है कि आज भी किसी ना किसी कोने से तुम मुझे देख रहे हो.... किसी ना किसी तारे में तुम्हें मेरी छवि दिख रही है... कोई ना कोई दुआ तो तुम्हें मेरी याद दिलाती ही होगी... और तुम्हारी वही याद मुझे पूरा करती है चाहे मैं उस से छुट्कारा पाने की कितनी भी दुआ क्युं ना करूं..
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